सेशन स्क्रिप्ट: “सीमाएं तय करना” – शिक्षकों के लिए

 

 

📘 सेशन स्क्रिप्ट: “सीमाएं तय करना” – शिक्षकों के लिए

समय: 45–60 मिनट
विधि: चर्चा आधारित, अभ्यास, रोल-प्ले
सामग्री: चार्ट पेपर, पेन, स्लाइड (अगर संभव हो)

 

🟢 शुरुआत: Icebreaker & परिचय (5–10 मिनट)

👩‍🏫 फेसिलिटेटर:
“नमस्ते साथियों! आज का सेशन एक ऐसे विषय पर है जो हमारे हर रिश्ते में अहम भूमिका निभाता है – वो है ‘सीमाएं तय करना’ यानी Setting Boundaries

(थोड़ा मुस्कुराते हुए)
“जरा सोचिए – क्या कभी आप किसी से ‘ना’ कहना चाहते थे, लेकिन कहा नहीं? या किसी ने आपकी बात को बार-बार टाल दिया और आप परेशान हो गए?”

🙋 [2-3 प्रतिभागियों से अनुभव पूछें]
“ऐसे ही कुछ अनुभव किसी और के साथ भी हुए हैं क्या?”

🎯 सेशन का उद्देश्य बताएं:

  • अपनी सीमाओं को पहचानना
  • कैसे ‘ना’ कहें बिना किसी अपराध-बोध के
  • रिश्तों में इज्ज़त और स्पष्टता बनाए रखना

 

🔵 सेशन का हिस्सा 1: सीमाएं होती क्या हैं? (10 मिनट)

👩‍🏫 फेसिलिटेटर:
“सीमाएं वो नियम होते हैं जो हम अपने लिए बनाते हैं – कि हमें क्या स्वीकार है और क्या नहीं। ये हर रिश्ते में होती हैं – दोस्ती, परिवार, सहकर्मी, यहाँ तक कि बच्चों के साथ भी।”

📝 उदाहरण दें:

  • “मैं रात 10 बजे के बाद कॉल रिसीव नहीं करता।”
  • “मेरी किताबें कोई बिना पूछे न ले।”

📣 सवाल पूछें:
“आपके जीवन में कुछ ऐसी सीमाएं क्या हैं जो आपने तय की हैं?”

✍️ प्रतिभागियों को एक मिनट दें सोचने और लिखने के लिए।

 

🟣 सेशन का हिस्सा 2: स्पष्ट तरीके से ‘ना’ कहना (15 मिनट)

👩‍🏫 फेसिलिटेटर:
“‘ना’ कहना सीखना एक कला है। और ये जरूरी है।
आइए कुछ वाक्य देखते हैं जो आप इस्तेमाल कर सकते हैं:”

📜 बोलने के अभ्यास (Slideshow या चार्ट पर):

  • “मैं इसमें सहज नहीं हूँ।”
  • “मैं ये नहीं कर पाऊंगा।”
  • “ये मेरे लिए ठीक नहीं है।”
  • “मैं इसमें शामिल नहीं होना चाहता।”
  • “मैं अपनी सीमा यहीं तय करता हूँ।”

📌 संकेत दें:

  • आवाज़ स्थिर रखें
  • आँखों में देखें
  • सम्मानजनक लेकिन स्पष्ट रहें

🎭 रोल-प्ले एक्सरसाइज़ (3 जोड़ी बनाएं):
हर जोड़ी को एक स्थिति दें:

  1. कोई बार-बार मुफ्त में मदद मांग रहा है
  2. सहकर्मी आपकी योजना में बदलाव कर देता है
  3. दोस्त देर रात कॉल करता है

👥 हर जोड़ी 1 मिनट का रोल-प्ले करे और फिर समूह में साझा करें

 

🟠 सेशन का हिस्सा 3: चुनौतियाँ और समाधान (10 मिनट)

👩‍🏫 फेसिलिटेटर:
“जब हम सीमाएं तय करते हैं, तो कभी-कभी लोग बुरा मान जाते हैं।
लेकिन क्या इसका मतलब है कि हम अपनी सीमाएं छोड़ दें?”

🙋‍♂️ खुली चर्चा:
“ऐसी क्या चुनौतियाँ आती हैं जब हम ‘ना’ कहते हैं?”

🧠 सलाह साझा करें:

  • अपनी सीमाएं पहले से जानना
  • अपराध-बोध से ऊपर उठना
  • सम्मानजनक तरीके से बात रखना
  • आवश्यकता हो तो समझौता करना

 

🟡 सेशन का हिस्सा 4: अभ्यास (5 मिनट)

✍️ सभी से कहें:
“इन 2 स्थितियों में आप क्या कहेंगे?”

  1. कोई सहकर्मी हर हफ्ते आपसे क्लास प्लान मांगता है
  2. परिवार का कोई सदस्य बार-बार आपकी छुट्टी के दिन मिलने आता है

🗣️ 2-3 प्रतिभागियों से उनके जवाब शेयर करवाएं

 

🔚 समापन: Takeaways (5 मिनट)

👩‍🏫 फेसिलिटेटर:
“आज हमने सीखा कि सीमाएं बनाना स्वार्थ नहीं, बल्कि आत्म-सम्मान का प्रतीक है।
जब हम अपनी सीमाओं को स्पष्ट रखते हैं, तब ही हम दूसरों के साथ भी ईमानदार और स्वस्थ रिश्ते बना सकते हैं।”

🎁 Takeaway स्लाइड / चार्ट पर लिखें:

  • मेरी सीमाएं मेरे मूल्यों पर आधारित हों
  • ‘ना’ कहना मेरी जिम्मेदारी है
  • सम्मानजनक तरीके से बातचीत करें
  • हर रिश्ते में स्पष्टता जरूरी है

🙌 सभी को धन्यवाद कहें और पूछें अगर किसी को कुछ जोड़ना है या कोई सवाल है।

Handout for sessions:-

🛑 सीमाएँ तय करना (Setting Personal Boundaries)

🧠 सीमा क्या होती है?

सीमा का अर्थ है – आप क्या स्वीकार करेंगे और क्या नहीं। यह आपकी व्यक्तिगत जगह, भावनाएँ, समय और ज़रूरतों की सुरक्षा करती है।

“ना” कहना एक अधिकार है – अपराधबोध नहीं।

सीमा तय करना क्यों ज़रूरी है?

  • आत्म-सम्मान को मज़बूत करता है
  • तनाव और भावनात्मक थकान कम करता है
  • कार्य और निजी जीवन में संतुलन बनाता है
  • दूसरों से स्पष्ट और स्वस्थ रिश्ता बनाता है
  • बच्चों के सामने अच्छा उदाहरण पेश करता है

🗣️ जब “ना” कहना हो – क्या कहें?

  • “अभी मैं ये नहीं कर सकता/सकती हूँ।”
  • “कृपया ऐसा न करें।”
  • “इस समय मुझे थोड़ी शांति चाहिए।”
  • “मैं इसमें आपकी मदद नहीं कर पाऊँगा/पाऊँगी।”
  • “ये मेरे लिए ठीक नहीं है।”
  • “मैंने तय किया है कि मैं ऐसा नहीं करूंगा।”

👁️‍🗨️ क्या करें जब सीमाएँ तय करें?

  • आत्मविश्वासी बॉडी लैंग्वेज रखें – आँखों में देखें, स्पष्ट आवाज़ में बोलें
  • सम्मान बनाए रखें – गुस्से या व्यंग्य से बचें
  • पहले से सोचें – क्या कहेंगे, कैसे कहेंगे
  • कभी-कभी समझौता भी ठीक होता है, पर ज़रूरी नहीं

🎯 व्यवहारिक अभ्यास – स्थिति और प्रतिक्रिया

स्थिति: सहयोगी आपकी क्लास टाइम में बार-बार हस्तक्षेप करता है
प्रतिक्रिया: “मैं अभी बच्चों के साथ हूँ, कृपया बाद में बात करें।”

स्थिति: सहकर्मी व्यक्तिगत टिप्पणी करता है
प्रतिक्रिया: “मैं इस तरह की बातों को पसंद नहीं करता/करती, कृपया ऐसा न कहें।”

स्थिति: अभिभावक छुट्टी के बाद भी फ़ोन करता है
प्रतिक्रिया: “स्कूल समय के बाद मैं कॉल नहीं लेता/लेती।”

✨ SETP अभ्यास: सीमाएँ तय करने का 3-चरणीय सूत्र

S – Situation (स्थिति को पहचानें)
E – Express (स्पष्ट रूप से कहें कि आप क्या चाहते हैं या नहीं चाहते)
TP – Take Position (अपने फैसले पर टिके रहें)

💡 Reflection Activity

  1. क्या कभी आपने अपनी सीमाएँ तय नहीं की और बाद में पछताया?
  2. आपने आख़िरी बार “ना” कब कहा? वह अनुभव कैसा था?
  3. आप बच्चों को अपनी सीमाएँ कैसे सिखाते हैं?

👉 स्पष्ट सीमाएँ = स्वस्थ रिश्ते + शांत मन”

 

 

 

 

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