नंबर फ्लेक्सिबिलिटी और अन्तर्ज्ञान : गणित का सीखना -सिखाना

गणित को अक्सर माना जाता है की हल करने के निश्चित तरीके होते हैं, कुछ सीखे सिखाये एल्गॉरिथ्म होते हैं, उन्हें फॉलो करते रहो, पर क्या गणित सच में ऐसा ही है? 

कुछ लोग सोचते हैं कि किसी समस्या को हल करने का केवल एक ही तरीका है, या वे सोचते हैं कि किसी समस्या को हल करने का एकमात्र तरीका एल्गोरिदम का उपयोग करना है। जैसे गुणन में, जब आप दो संख्याओं की गुणा करते हैं, दोनों संख्याओं को ऊपर -नीचे लिखते हैं। प्रत्येक संख्या को चरण दर चरण गुणा करते हैं ।अक्सर यह लोगों को समझ में नहीं आता है कि हम ऐसा क्यूँ कर रहे हैं, जैसे जब हम दहाई से गुणा शुरू करते हैं तो 0 या × क्यूँ लगाते हैं? ।उदाहरण के लिए                                     

  12

                  ×  16

इसे हल करने के लिए  पहले 6 कि 2 से गुणा करेंगे, हमें मिलेगा 12, इकाई के अंक 2 को नीचे लिखेंगे और दहाई 1 को दहाई वाले कॉलम में ले जाएंगे, क्यूंकी हम स्थानीय मान आधारित पद्धति को मानते हैं, और इकाई, दहाई, सैकड़ा … सबका स्थान तय है, 10 को आधार मानकर या 10 कि घात के गुणज से हम परस्पर स्थान बदलते हैं जैसे 10 इकाइयाँ 1 दहाई  हो जाता है, और 10 दहाई मिलकर 1 सैकड़ा, 10 सैकड़ा मिलकर एक हजार … ऐसे ही ये क्रम चलता रहता है।

6 कि गुणा करने के बाद अगली पंक्ति में 1 से गुणा करके लिखना होगा, यहाँ 1 का मतलब है 1 दहाई , और जब 1 कि 2 से गुणा होगी तो ये 2 दहाई होगा जिसे हम इकाई के स्थान पर नहीं लिख सकते इसलिए इकाई के स्थान पर 0 या × लगाते हैं। अब हम 1 कि एक से गुणा करेंगे मतलब दहाई कि दहाई से तो जबाब 100 इकाई मिलेगा, इसलिए मिले जबाब को सैकड़े के स्थान पर लिखा जाएगा।

     12

× 16

———-

    72

 12×

—————

  192

12 गुणा 16 के जबाब के लिए हमे 12 गुणा 6 जो है 72 और 12 गुणा 10 जो है 120, इन दोनों को जोड़ना होगा, 72 और 120 हुये 192

समान्यत: अधिकतर पढे -लिखे लोग इसी तरीके से गुणा करना जानते हैं, ये  प्रक्रिया  चरणों की संख्या अधिक हो जाने से बिना पेन व कागज के नहीं हो पाती  है, दैनिक जीवन में मानसिक गणना करने के लिए अलग ही प्रक्रिया अपनाईं जाती हैं जैसे 18 गुणा 5 को हल करना हो तो 18 को पाँच बार जोड़कर 90 मिल सकता है या 5 को 20 बार हुये 100, इसमें से 2 बार 5 कम कर दो क्यूंकी 18 बार ही जबाब देना है, 100 में 10 कम यानि 90, या 12 गुणा 5 यानि 60 और 6 गुणा 5 यानि 30, दोनों को मिलाकर 60 और 30 हुये 90 या 18 का दो गुणा 36, फिर 36 का दो गुणा 72, हमें 5 गुणा चाहिए इसलिय 72 में एक बार और 18 जोड़ना होगा, कुल 90 या 9 गुणा 5 45 और फिर 9 गुणा 5 45 , कुल 90, या 18 दहाई 180, आधा किया मतलब 18 गुणा 5 हुआ 90

ऐसे ही  50 x 12 करने के लिए 50 का दुगना और 12 का आधा किया जा सकता है|

50 x 12 = 100 x 6 = 600

और 16 x 25 को हल करने के लिए 16 का आधा और 25 का दुगना करें (आपको मिलेगा 8 x 50)| फिर 8 को आधा और 50 को दुगना करें|

16 x 25 = 8 x 50 = 4 x 100

इसी तरह 24 को 11 से गुणा करने के लिए 24 को दस से गुणा करके उसमे 24 जोड़ सकतें है|

 24 × 11 = (24 × 10) + (24 × 1)

संख्याओं को समस्या समाधान के लिए अपनी सुवधानुसार तोड़ना नंबर फ्लेक्सिबिलिटी कहलाता है, जो अच्छा गणित करने की एक शर्त है।

अच्छा गणित करने के लिये एक और जरूरी बात यह है कि हम गणितज्ञों  की तरह सोचें।

क्या गणितज्ञ अलग तरह से सोचते हैं?  एक गणितज्ञ की तरह सोचना बहुत सहज बात है। जब आप कम दिन के लिये छुट्टियों पर जाते हैं तो किस प्रकार की पेकिंग करते हैं और जब लंबी छुट्टियों पर जाते हैं तो क्या पेकिंग पहले जैसी ही रहती है?

आपको अपने सामान को एक जगह से दूसरी जगह भेजना है, तो आप क्या चुनते हैं – छोटी गाड़ी, ट्रक, ट्रेन या कुछ सामान को बेच देते हैं, आपके द्वारा किया गया चुनाव महत्वपूर्ण गणित का उपयोग करता है। आपके घर मेहमान आने वाले हैं इसकी सूचना आपको जब मिलती है तो बाजार बंद हो चुके हैं, होटल से खाना मंगाने का विकल्प नहीं है, आप रसोई में जाते हैं और मुस्कराते हुये जबाब देते हैं की हो जायेगा, और अंत में वास्तव में आप पनि रेसिपी पर सभी की तारीफ पाते हैं।  आप गणितज्ञों की तरह सहज गणित को उपयोग कर रहे हैं।  दैनिक जीवन में ये कौशल का उपयोग करते हुये आप सब  वास्तव में मेरे लिए वास्तव में अच्छे गणितज्ञ हैं।

गणित में अंतर्ज्ञान वास्तव में महत्वपूर्ण है। हर बार जब आप गणित की कोई समस्या देखते हैं तो आप रुकते हैं  और सहज रूप से सोचते हैं, और तय करते हैं की  मुझे इस समस्या को हल करना है, आप कभी कर पाते हैं, कभी फँस जाते हैं और कभी किसी की सहायता से पूरा कर पाते हैं। जरूरी है समस्या समाधान की ओर सोचना, अंतर्ज्ञान और सोच के साथ गणित के करीब पहुंचना।

केवल एक सेट विधि के बारे में सोचने के विपरीत। समस्या अगर  कठिन  है, तो चिंता न करें बस चलें, याद रखें संघर्ष करने का मतलब है कि आपका दिमाग बढ़ रहा है।ऐसा तंत्रिका विज्ञान का कहना है की जब हम दिमाग पर ज़ोर डालते हैं तो साइनप्स से फाइरिंग होती है और दिमाग बढ़ता है।

लोग गणित को बहुत अलग तरह से देखते हैं। और वे समस्याओं को सुलझाने में  बहुत रचनात्मक हो सकते हैं । गणित की रचनात्मकता को जीवित रखना महत्वपूर्ण है। यदि आप गणितज्ञों से पूछें गणित क्या है, उनमें से अधिकांश एक सुंदर रचनात्मक विषय के बारे में बात करेंगे, लेकिन अक्सर स्कूली गणित में सुंदरता और रचनात्मकता नहीं दिखती।  जब आप स्कूल में गणित सीखते हैं, अगर कोई शिक्षक आपको कोई तरीका दिखाता है, तो आप खुद सोचिए, क्या इसे हल करने के अन्य तरीके हैं? हमेशा दूसरे होते हैं।

अपने शिक्षक या दोस्तों या माता-पिता के साथ उनकी चर्चा करें। इससे आपको गहराई से सीखने में मदद मिलेगी। अब मैं आपको संख्याओं का लचीले ढंग से उपयोग करने का एक और अवसर देना चाहूंगा। इस समस्या का प्रयास करें। और यदि आपने पहले किया था तो इस बार एल्गोरिथम का उपयोग न करें।लेकिन संख्याओं को मित्र संख्याओं में बदलने का प्रयास करें:

और समस्या 12 x 15 है।

इस पर अपनी – अपनी  नंबर फ्लेक्सिबिलिटी को आजमाइए, और नए अनुभव के लिए अगले अंक का इंतज़ार कीजिये।

1 thought on “नंबर फ्लेक्सिबिलिटी और अन्तर्ज्ञान : गणित का सीखना -सिखाना

  1. נערת ליווי says:

    A fascinating discussion is worth comment. I do think that you ought to publish more about this issue, it may not be a taboo matter but typically folks dont speak about such topics. To the next! Cheers!!

    Reply

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